Home National  नाना-नानी नहीं, पिता को दी बच्चे की कस्टडी- सुप्रीम कोर्ट ने पलटा...

 नाना-नानी नहीं, पिता को दी बच्चे की कस्टडी- सुप्रीम कोर्ट ने पलटा फैसला

0

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा कि बच्चे का पिता उसका स्वाभाविक अभिभावक है और ग्रैंडपैरेंट्स यानी नाना-नानी का दावा पिता से ज्यादा नहीं हो सकता है। यूपी के एक मामले में बच्चे की मां के निधन के बाद से वह अपने नाना-नानी के साथ रह रहा था। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिता को कस्टडी देने से इनकार करते हुए कहा था कि बच्चा नाना-नानी के साथ ज्यादा सहज महसूस करता है और पिता की दूसरी शादी हो चुकी है। पिता ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। उन्होंने दलील दी कि वे स्वाभाविक अभिभावक हैं, अच्छी नौकरी में हैं और उनके माता-पिता यानी दादा-दादी ने बच्चे के नाम संपत्ति और 10 लाख रुपए की एफडी कर रखी है। उनकी दूसरी पत्नी ने भी हलफनामा देकर बच्चे की देखभाल की जिम्मेदारी ली है।

सुप्रीम कोर्ट ने 7 फरवरी को हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए कहा कि पिता स्वाभाविक अभिभावक हैं और उनका दावा नाना-नानी से ज्यादा मजबूत है। हाईकोर्ट ने बच्चे की अपने पिता के प्रति भावना को समझने की कोशिश नहीं की। बच्चा जन्म के बाद 10 सालों तक माता-पिता के साथ रहा, जब तक कि उसकी मां का निधन नहीं हुआ था। पिता पर कोई कानूनी मामला या वैवाहिक विवाद नहीं है। बच्चे का भविष्य और भलाई पिता के पास रहने में ही है। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि 1 मई 2025 को बच्चे की कस्टडी पिता को सौंपी जाए। नाना-नानी को उससे मिलने का अधिकार भी दिया गया है। कोर्ट के इस फैसला साफ हो जाता है कि यदि पिता सक्षम और जिम्मेदार है, तो उसका हक नाना-नानी से ज्यादा है, जब तक कि कोई ठोस कारण न हो कि बच्चे का वेलफेयर पिता के पास नहीं है।

NO COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Exit mobile version