भगवंत मान सरकार द्वारा राज्य के छह लाख कर्मचारियों व पेंशनरों को बड़ा तोहफा

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चंडीगढ़ : राज्य सरकार ने कर्मचारियों व पेंशनरों को एक बड़ा तोहफा देते हुए, मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के नेतृत्व वाले पंजाब मंत्री मंडल ने आज उनको 14,000 करोड़ रुपए के बकाए जारी करने को सहमति दी है।इस संबंधी निर्णय आज मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में पंजाब सिविल सचिवालय-1 स्थित उनके कार्यालय में हुई मंत्री मंडल की बैठक में लिया गया। इस संबंधी जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री कार्यालय के प्रवक्ता ने बताया कि राज्य सरकार के तीन लाख कर्मचारियों और तीन लाख पेंशनरों को बड़ी राहत देते हुए मंत्रिमंडल ने 1 जनवरी, 2016 से 30 जून, 2022 तक के समय की संशोधित वेतन/पेंशन और लीव इनकैशमेंट का बकाया और 1 जुलाई, 2021 से 31 मार्च, 2024 तक के डी.ए./डी.आर. का बकाया जारी करने की अनुमति दी है। इस बकाये के लिए 14000 करोड़ रुपए की राशि चरणबद्ध रूप से जारी की जाएगी जिससे कर्मचारियों और पेंशनरों को अत्यधिक आवश्यक राहत मिलेगी।

सरकारी और निजी क्षेत्र में 60 हजार पदों का सृजन – मंत्रिमंडल ने लोगों को न्याय दिलाने के लिए राज्य में 22 नई लोक अदालतें स्थापित करने के लिए पंजाब राज्य कानूनी सेवाएं प्राधिकरण में नए पदों के सृजन की अनुमति दी। मंत्रिमंडल ने नए बने जिले मलेरकोटला में सहायक निदेशक, सीनियर सहायक और सेवादार के तीन नए पदों के सृजन की भी अनुमति दी। कर विभाग में मानव संसाधनों का सही उपयोग कर राज्य में कर चोरी रोकने के लिए मंत्रिमंडल ने विभाग में 476 नए पदों के सृजन की अनुमति भी दी है। इसी के साथ ही मंत्रिमंडल ने विभाग में इंस्पेक्टरों के पदों का नाम बदलने को हरी झंडी दे दी, जिससे अब विभाग के इंस्पेक्टरों को स्टेट टेक्सेशन अफसर (राज्य कर अधिकारी) के रूप में जाना जाएगा। मंत्रिमंडल ने आबकारी विभाग में नियमित आधार पर 53 ड्राइवरों की भर्ती के लिए भी सहमति दे दी। मंत्रिमंडल ने प्राथमिक शिक्षा विभाग में शारीरिक शिक्षा प्रशिक्षकों (पी.टी.आई. शिक्षकों) की सीधी भर्ती के लिए नियमों और योग्यताओं में संशोधन के लिए भी हरी झंडी दे दी। इससे आने वाले दिनों में राज्य भर में ऐसे 2000 शिक्षकों की भर्ती का मार्ग प्रशस्त होगा।

राज्य के लोगों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए मंत्रिमंडल ने स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग में ग्रुप-सी कैडर के 822 पदों के सृजन की भी अनुमति दी है। यह विभाग की कार्यकुशलता को बढ़ाने में मदद करेगा, जिससे लोगों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल सेवाएं मिलने से बड़ा लाभ होगा। मंत्रिमंडल ने डॉ. बी.आर. अंबेडकर स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, एस.ए.एस. नगर में विभिन्न कैडरों के 97 पदों के सृजन की भी अनुमति दी है। यह कदम लोगों को गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सेवाएं प्रदान करने के लिए संस्थान के कामकाज को और अधिक प्रभावी बनाने में सहायक होगा।नौजवानों के लिए रोजगार के 50,000 से अधिक अवसर पैदा करने का उद्देश्य से मंत्रिमंडल ने अमृतसर-कोलकाता औद्योगिक गलियारे (ए.के.आई.सी.) परियोजना के हिस्से के रूप में राजपुरा में इंटीग्रेटेड मैनुफेक्चरिंग क्लस्टर एकीकृत विनिर्माण क्लस्टर (आई.एम.सी.) स्थापित किया जा रहा है। इस परियोजना को लागू करने के लिए बनाए गए स्पेशल पर्पज व्हीकल (एस.पी.वी.), “एन.आई.सी.डी.सी. पंजाब इंडस्ट्रीयल कोरिडोर डेवलेपमेंट कारपोरेशन लिमिटेड” को भूमि के हस्तांतरण के लिए स्टांप शुल्क, पंजीकरण शुल्क और अन्य अतिरिक्त खर्चों में छूट देने की अनुमति दी गई है। इस परियोजना का उद्देश्य स्थानीय व्यापार, वैश्विक प्रतिस्पर्धी व्यवसाय और निवेश के लिए उपयुक्त माहौल बनाने के लिए विशेष व्यवस्था कायम करना है। यह परियोजना औद्योगिक क्षेत्र में लगभग 32724 और गैर-औद्योगिक क्षेत्र में 14880 लोगों के लिए रोजगार पैदा करेगी।

1500 एकड़ भूमि में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को घर देने के लिए हरी झंडी – समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को घर उपलब्ध कराने के प्रयास के रूप में मंत्रिमंडल ने “आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ई.वी.एस.) के लिए आरक्षित भूमि का सही उपयोग” पर नीति को मंजूरी दे दी। इसके अनुसार विभिन्न कालोनियों में बंजर पड़ी भूमि से राजस्व उत्पन्न किया जाएगा और इस तरह की बिक्री से प्राप्त फंडों का उपयोग आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लाभ के लिए किया जाएगा। प्रवक्ता ने बताया कि पंजाब सरकार द्वारा पूरे राज्य में 1500 एकड़ भूमि अधिग्रहित कर इसे आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए मकान बनाने के लिए उपयोग किया जाएगा। राज्य के विकास प्राधिकरणों को अधिकृत किया जाएगा कि वे अपने स्तर पर इन बंजर पड़ी भूमि के लिए इस तरह की योजना बनाएं ताकि उपभोक्ता की आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके और इन स्थानों की नीलामी करके विभाग के लिए पर्याप्त राजस्व उत्पन्न हो सके। विकास प्राधिकरणों को ई.वी.एस. के लिए प्लॉट या घर बनाने के लिए भूमि के विभिन्न हिस्सों की पहचान करने और उसे अधिग्रहित करने के लिए भी अधिकृत किया जाएगा ताकि राज्य सरकार समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के हितों का ध्यान रख सके।

विभिन्न विकास प्राधिकरणों द्वारा एकत्र किए गए ई.डी.सी. के सही उपयोग के लिए नीति मंजूर – मंत्रिमंडल ने विभिन्न विकास प्राधिकरणों द्वारा राज्य सरकार की ओर से पापरा एक्ट के तहत अपने परियोजनाओं को विकसित करने वाले प्रमोटरों से एकत्र किए गए ई.डी.सी. के उचित उपयोग की नीति को भी मंजूरी दे दी। इस नीति के अनुसार प्रमोटरों से एकत्र किए गए ई.डी.सी. का 50 प्रतिशत कालोनी या टाउनशिप के भीतर बुनियादी ढांचे के विकास के लिए उपयोग किया जाएगा, जबकि शेष 50 प्रतिशत राज्य सरकार द्वारा बड़े परियोजनाओं के विकास के लिए उपयोग किया जाएगा। यह नीति राज्य के विकास को बड़े स्तर पर और बढ़ावा देगी।

तेजाब पीड़ितों के लिए वित्तीय सहायता 8000 रुपए से बढ़ाकर 10,000 रुपए की – मंत्रिमंडल ने ‘तेजाब पीड़ितों के लिए वित्तीय सहायता योजना’ का नाम बदलकर “पंजाब तेजाब पीड़ितों के लिए वित्तीय सहायता योजना-2024” रखने का निर्णय लिया है, जिससे इस योजना में अब महिलाओं के साथ-साथ तेजाब पीड़ित पुरुषों और ट्रांसजेंडर को भी शामिल किया गया है। इसके साथ ही मंत्रिमंडल ने तेजाब हमले के पीड़ितों को प्रति माह दी जाने वाली वित्तीय सहायता 8,000 रुपए से बढ़ाकर 10,000 प्रति माह कर दी है। प्रवक्ता ने बताया कि पंजाब सरकार ने 20 जून, 2017 को अधिसूचना संख्या 1006029/1 के माध्यम से “पंजाब तेजाब पीड़ितों के लिए वित्तीय सहायता, 2017” अधिसूचित की थी ताकि तेजाब हमले की पीड़ित महिलाओं को वित्तीय सहायता प्रदान की जा सके। पहले इस योजना के तहत केवल तेजाब हमले की पीड़ित महिलाओं को ही शामिल किया जाता था और उन्हें प्रति माह 8,000 रुपए की वित्तीय सहायता प्रदान की जाती थी। इस योजना को लिंग आधारित तटस्थ बनाते हुए राज्य सरकार ने इसका नाम बदलकर ‘पंजाब तेजाब पीड़ितों के लिए वित्तीय सहायता योजना-2024’ कर दिया है और इस योजना में तेजाब हमले के शिकार हुए पुरुषों और ट्रांसजेंडर को शामिल किया गया है। पीड़ितों के लिए वित्तीय सहायता भी मौजूदा 8000 रुपए से बढ़ाकर 10,000 रुपये प्रति माह कर दी गई है।

विधान सभा की दो दिनों की विशेष बैठकें 24-25 फरवरी को – मंत्रिमंडल ने पंजाब विधान सभा की विशेष बैठकें 24 और 25 फरवरी को बुलाने की अनुमति दी है। इस दो दिवसीय सत्र के दौरान विधायी कार्य किया जाएगा।

डिफॉल्ट हुए आवंटियों के लिए माफी नीति मंजूर – लोगों को बड़ी राहत देते हुए मंत्रिमंडल ने डिफॉल्ट हुए आवंटियों के लिए माफी नीति (एमनेस्टी पॉलिसी) को भी मंजूरी दे दी है। इनमें वे आवंटी शामिल हैं, जो पुडा और अन्य संबंधित विकास प्राधिकरणों द्वारा उन्हें आवंटित किए गए प्लॉट/भूमि के पैसे जमा नहीं करा सके। इस नीति के अनुसार डिफॉल्टर अपनी बकाया राशि बिना किसी जुर्माने के स्कीम ब्याज के साथ एकमुश्त जमा करा सकते हैं। इस स्कीम के तहत गैर-निर्माण खर्च 50 प्रतिशत तक माफ किए जाएंगे और आई.टी. सिटी, एस.ए.एस. नगर में आवंटित किए गए संस्थागत स्थानों/अस्पतालों के लिए प्लॉट/औद्योगिक प्लॉट या विकास प्राधिकरणों की किसी अन्य योजना के मामले में 2.50 प्रतिशत की दर से एक्सटेंशन फीस लगेगी और आवंटियों को आवंटन पत्र की सभी शर्तों को पूरा करने के लिए तीन साल की अवधि दी जाएगी।

एन.आर.आई. के लिए छह विशेष अदालतें – राज्य भर के प्रवासी भारतीयों की सुविधा के लिए महत्वपूर्ण फैसला लेते हुए मंत्रिमंडल ने राज्य के छह जिलों में विशेष फास्ट ट्रैक एन.आर.आई. अदालतें स्थापित करने की अनुमति दी है। इस निर्णय के अनुसार ये अदालतें जालंधर, होशियारपुर, कपूरथला, शहीद भगत सिंह नगर, मोगा और लुधियाना में स्थापित की जाएंगी। इससे प्रवासी भारतीयों को शीघ्र न्याय मिलने की व्यवस्था और बेहतर होगी, जिससे उन्हें बड़ी राहत मिलेगी।

ग्रामीण चौकीदारों का मान-भत्ता बढ़ाया गया – एक और फैसले में मंत्रिमंडल ने ग्रामीण चौकीदारों का मासिक मान-भत्ता मौजूदा 1250 रुपए से बढ़ाकर 1500 रुपए करने की भी मंजूरी दे दी। यह पहल राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में चौकीदारों द्वारा ड्यूटी को और सुचारू रूप से निभाने में मदद करेगी।

बठिंडा थर्मल प्लांट से संबंधित भूमि के उचित उपयोग को हरी झंडी – मंत्रिमंडल ने थर्मल पावर प्लांट बठिंडा की 253 एकड़ भूमि को बठिंडा विकास प्राधिकरण को आवासीय/वाणिज्यिक स्थानों, वाटर ट्रीटमेंट प्लांट, बस स्टैंड, ई.एस.आई. अस्पताल और स्कूलों के लिए उचित उपयोग करने और 1235 एकड़ भूमि को पी.एस.पी.सी.एल. को वापस करने का फैसला भी किया। इसके अलावा थर्मल प्लांट की लगभग 173 एकड़ भूमि में स्थित तीन झीलों का प्रशासनिक नियंत्रण बठिंडा विकास प्राधिकरण के पास रहेगा, जबकि मालिकाना हक पी.एस.पी.सी.एल. के पास रहेगा। इस क्षेत्र को बठिंडा विकास प्राधिकरण द्वारा पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा, जिससे यह शहर पर्यटन केंद्र बन जाएगा। इससे होने वाला लाभ विभाग की 80:20 नीति के तहत पी.एस.पी.सी.एल. और बठिंडा विकास प्राधिकरण के बीच बांटा जाएगा।

हाउसिंग विभाग की ई-नीलामी नीति में संशोधन को मंजूरी – मंत्रिमंडल ने हाउसिंग और शहरी विकास विभाग की ई-नीलामी नीति में संशोधन को भी मंजूरी दे दी। सितंबर 2024/अक्टूबर 2024 में की गई ई-नीलामी के बाद प्राप्त फीडबैक के आधार पर और नोएडा, ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण, एच.एस.वी.पी. और जयपुर विकास प्राधिकरण जैसी अन्य विकास प्राधिकरणों की ई-नीलामी नीतियों को ध्यान में रखने के बाद नीति में कुछ बदलाव किए गए हैं, जिसका उद्देश्य अधिकतम राजस्व उत्पन्न करना है। बड़े स्थानों को छोड़कर सभी प्रकार की संपत्तियों के लिए योग्यता शुल्कों में वृद्धि की गई है और लगातार दो नीलामियों के बाद न बिकने वाली संपत्तियों की आरक्षित कीमत को कम करने के लिए फॉर्मूला तैयार किया गया है। यदि संशोधन के अनुसार दो लगातार नीलामियों में प्लॉट/स्थान की बिक्री नहीं होती है, तो संबंधित प्राधिकरण के मुख्य प्रशासक के स्तर पर आरक्षित कीमत में 7.5 प्रतिशत की कटौती की जाएगी। यदि अगली दो लगातार नीलामियों में भी प्लॉट/स्थान की बिक्री नहीं होती है, तो संबंधित प्राधिकरण में मुख्य प्रशासक के स्तर पर मूल तय आरक्षित कीमत में 7.50 प्रतिशत (पहली नीलामी की मूल तय आरक्षित कीमत का कुल 15 प्रतिशत) की और कटौती की जाएगी। यदि अगली दो लगातार नीलामियों में भी प्लॉट/स्थान की बिक्री नहीं होती है, तो हाउसिंग और शहरी विकास विभाग के प्रमुख सचिव के स्तर पर पहली नीलामी की मूल तय आरक्षित कीमत में 7.50 प्रतिशत (पहली नीलामी के लिए मूल तय आरक्षित कीमत का 22.50 प्रतिशत) की कटौती होगी। यदि ऊपर बताई गई आरक्षित कीमत में 22.50 प्रतिशत की कटौती के बावजूद संबंधित प्लॉट/स्थान की अगली दो लगातार नीलामियों में बिक्री नहीं होती है और संबंधित प्राधिकरण की यह धारणा बनती है कि आरक्षित कीमत में 22.50 प्रतिशत से अधिक कटौती की आवश्यकता है, तो संबंधित प्राधिकरण इस कटौती के लिए आवश्यक तर्क के साथ मामला वित्त और लेखा समिति/बजट और समीक्षा समिति के समक्ष रख सकती है।

‘रेंटल हाउसिंग एकोमोडेशन पॉलिसी 2018’ में संशोधन को मंजूरी – कैबिनेट ने ‘‘रेंटल हाउसिंग एकोमोडेशन पॉलिसी 2018’ को अधिक तार्किक बनाने के लिए इसमें संशोधन को मंजूरी दे दी। यह संशोधन मास्टर प्लान (एस.ए.एस. नगर और न्यू चंडीगढ़ के मास्टर प्लान को छोड़कर) के संस्थागत क्षेत्रों में किराया आवास आवास परियोजनाओं की भी अनुमति होगी। इन मास्टर प्लान (एस.ए.एस. नगर और न्यू चंडीगढ़ के मास्टर प्लान को छोड़कर) में मौजूदा सड़क की चौड़ाई 22 फुट से कम नहीं होनी चाहिए, जिसे 60 फुट तक बढ़ाया जा सकता है या मास्टर प्लान के अनुसार जो भी अधिक है। इसी तरह मास्टर प्लान के बाहर की मौजूदा सड़क की न्यूनतम चौड़ाई 22 फुट से कम नहीं होनी चाहिए, जिसे 40 फुट तक बढ़ाया जा सकता है। विद्यार्थियों/बुजुर्गों के लिए प्रत्येक तीन व्यक्तियों के लिए एक दोपहिया वाहन के लिए ई.सी.एस. की अनुमति होगी। इसके अलावा एक एकड़ से अधिक भूमि पर वर्तमान 500 विद्यार्थियों के लिए मकान निर्माण की सीमा को बढ़ाकर एक हजार विद्यार्थियों के लिए मकान निर्माण की अनुमति होगी।

200 सोलर पंप लगाने के लिए पायलट प्रोजेक्ट शुरू होगा – कृषि उद्देश्यों के लिए ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों को प्रोत्साहित करने के लिए मंत्रिमंडल ने कृषि उद्देश्यों के लिए 200 सोलर पंप स्थापित करने के लिए पायलट प्रोजेक्ट शुरू करने की अनुमति दे दी है। मंत्रिमंडल ने किसानों को मुफ्त बिजली देने की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए कहा कि इस परियोजना के लिए 90 प्रतिशत फंडिंग पंजाब सरकार द्वारा की जाएगी। इस परियोजना का उद्देश्य किसानों की आय बढ़ाकर जीवन को खुशहाल बनाना है।

बुड्डा नाला के प्रदूषण को रोकने के लिए लुधियाना में बायो-मीथेन प्लांट स्थापित को हरी झंडी – लुधियाना के बुड्डा नाले में गोबर के कारण उत्पन्न होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए मंत्रिमंडल ने औद्योगिक शहर में अत्याधुनिक बायो-मीथेन प्लांट स्थापित करने की अनुमति दे दी है। यह प्लांट 2.5 एकड़ में फैला होगा और इसकी दैनिक क्षमता 300 टन होगी।

पापरा लाइसेंसशुदा परियोजनाओं के लिए समय सीमा बढ़ाने की मंजूरी – मंत्रिमंडल ने पापरा लाइसेंसशुदा परियोजनाओं के लिए समय सीमा 1 जनवरी, 2024 से 31 दिसंबर, 2025 तक दो साल के लिए 25,000 रुपए प्रति एकड़ प्रति वर्ष की विस्तार शुल्क पर बढ़ाने की भी मंजूरी दे दी। इसी तरह मेगा परियोजनाओं के लिए भी 25,000 रुपए प्रति एकड़ की विस्तार शुल्क पर 31 दिसंबर, 2025 तक एक साल का विस्तार करने की मंजूरी दे दी है। इससे डेवलपर/प्रमोटर को अपनी परियोजनाओं को पूरा करने में राहत मिलेगी और परियोजनाओं के आवंटियों को होने वाली कठिनाइयां समाप्त हो जाएंगी।

पराली आधारित बॉयलरों के लिए सब्सिडी बढ़ाई – धान की पराली के उचित प्रबंधन को सुनिश्चित करने के लिए मंत्रिमंडल ने धान की पराली पर आधारित नया बॉयलर स्थापित करने के लिए पूंजीगत सब्सिडी एक करोड़ रुपए और मौजूदा संयंत्र को अपग्रेड करने के लिए 50 लाख रुपए सब्सिडी देने की सहमति दे दी। इस कदम का उद्देश्य पराली के सही उपयोग को सुनिश्चित करना है, जिससे एक स्वच्छ, हरा-भरा और प्रदूषण मुक्त पंजाब बनाया जा सके। यह कदम पराली के सही निपटान द्वारा राज्य के किसानों की आय बढ़ाने में भी मदद करेगा।

विभिन्न गांवों के उप-मंडलों में बदलाव – एक और नागरिक केंद्रित निर्णय लेते हुए मंत्रिमंडल ने गांव महरू, टिवाणा और तसलपुर को उप-मंडल/तहसील दूधन साधां, जिला पटियाला से निकालकर उप-तहसील घनौर, तहसील राजपुरा, जिला पटियाला में शामिल करने की मंजूरी दे दी है। इसी तरह उप-मंडल चीमा के गांव नमोल को उप-डिवीजन सुनाम ऊधम सिंह वाला, जिला संगरूर में शामिल करने की अनुमति दे दी है। इससे संबंधित गांवों के लोगों को अपने रोजमर्रा के प्रशासनिक कामकाज को सुचारू रूप से करवाने में मदद मिलेगी।

महाराजा भूपिंदर सिंह पंजाब स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी, पटियाला के लिए यू.जी.सी. स्केल को मंजूरी – मंत्रिमंडल ने महाराजा भूपिंदर सिंह पंजाब स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी, पटियाला में शिक्षण संकाय को यू.जी.सी. स्केल देने के लिए भी हरी झंडी दे दी है।

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