बड़ा सवाल: भाजपा की सरकार बनी तो कौन हो सकता है सीएम का दावेदार

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नई दिल्ली : दिल्ली विधानसभा चुनाव की वोटिंग 5 फरवरी को पूरी हो चुकी है। अब एग्जिट पोल के लिहाज से बीजेपी सरकार बनाती नजर आ रही है। यही आंकड़े अगर नतीजों तब्दील होते हैं तो सीएम की रेस में बीजेपी के एक-दो नहीं बल्कि पांच से छह नेता है। ऐसे में देखना है कि बीजेपी किसे मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंपती है? दिल्ली विधानसभा चुनाव की वोटिंग हो चुकी है और सभी उम्मीदवारों की किस्मत ईवीएम मशीन में कैद हो चुकी है। दिल्ली चुनाव को लेकर ज्यादातर एग्जिट पोल के मुताबिक बीजेपी बहुमत के साथ दिल्ली में सरकार बनाती दिख रही है। आम आदमी पार्टी को इस बार सियासी झटका लगता दिख रहा है।

एग्जिट पोल में जिस तरह से अनुमान लगाए गए हैं अगर 8 फरवरी को चुनाव नतीजों में तब्दील होते हैं तो फिर 27 साल बाद दिल्ली में बीजेपी की सरकार होगी। ऐसे में सवाल उठता है कि बीजेपी दिल्ली में किसे मुख्यमंत्री बनाएगी? बीजेपी ने अपने किसी भी नेता को दिल्ली में मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित कर चुनाव नहीं लड़ा था। पीएम मोदी के नाम और काम को लेकर बीजेपी दिल्ली चुनाव में उतरी थी। आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल पूरे चुनाव के दौरान बीजेपी से यही सवाल करते रहे कि बीजेपी बताए दिल्ली में कौन उसका चेहरा होगा। इतना ही नहीं आम आदमी पार्टी कभी रमेश बिधूड़ी के नाम को तो कभी प्रवेश वर्मा के नाम को बीजेपी का दिल्ली में चेहरा बताती रही है। दिल्ली के सियासी इतिहास में बीजेपी ने 1993 में सरकार बनाई थी और पांच साल के कार्यकाल के दौरान तीन सीएम बनाए थे।

1993 में बीजेपी ने सत्ता में आने के बाद ही मदनलाल खुराना को सीएम बनाया था और उसके बाद साहिब सिंह वर्मा को मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंपी। 1998 चुनाव से पहले साहिब वर्मा की जगह सुषमा स्वराज को मुख्यमंत्री बना दिया था। साल 1998के चुनाव हारने के बाद बीजेपी कभी भी सत्ता में वापसी नहीं कर सकी। अब 2025 में एग्जिट पोल के लिहाज से बीजेपी सरकार बनाती नजर आ रही है। यही आंकड़े अगर नतीजों तब्दील होते हैं तो सीएम की रेस में बीजेपी के एक-दो नहीं बल्कि पांच से छह नेता है। ऐसे में देखना है कि बीजेपी किसे मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंपती है? बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव दुष्यंत कुमार गौतम दिल्ली के करोल बाग विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में उतरे हैं।

बीजेपी के दलित चेहरा माने जाते हैं और पार्टी के तमाम अहम पदों पर रह चुके हैं। अगर दिल्ली में बीजेपी की सरकार बनती है तो सीएम के प्रबल दावेदारों में से एक माने जा रहे हैं। अमित शाह और पीएम मोदी के करीबी माने जाते हैं। दुष्यंत कुमार गौतम ने अपना सियासी सफर एबीवीपी से शुरू किया था। दलित मुद्दों पर मुखर रहते हैं और तीन बार अनुसूचित जाति मोर्चा के अध्यक्ष रहे हैं। राज्यसभा सदस्य भी रह चुके हैं। दुष्यंत कुमार गौतम ने संगठनात्मक राजनीति में अपनी पहचान बनाई है। दिल्ली में दलित वोटों को जोड़े रखने के लिए बीजेपी उनके चेहरे को प्रोजेक्ट कर सकती है, लेकिन उनके विवादित बयान राह में रोड़ा भी बन सकते हैं।

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