27 साल बाद भाजपा की दिल्ली में जोरदार वापिसी:आम आदमी पार्टी को करारी हार,केजरीवाल खुद भी हारे

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नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए सुबह आठ बजे से वोटों की गिनती जारी है। आम आदमी पार्टी के कई बड़े नेता चुनाव हार गए हैं। अरविंद केजरीवाल नई दिल्ली सीट से हार गए हैं। मनीष सिसोदिया को भी जंगपुरा सीट से हार का सामना करना पड़ा है। वहीं, आतिशी कालकाजी सीट से चुनाव जीत गई हैं। वहीं भाजपा 48 सीटें जीतकर बहुमत पा चुकी है। चुनाव परिणाम के आंकड़ों के अनुसार अगर दिल्ली में इंडिया गठबंधन होता तो आम आदमी पार्टी के जीतने की संभावना बढ़ जाती। आप 14 सीटें कांग्रेस की वजह से हारी हैं।राजधानी में पांच फरवरी को वोट डाले गए थे। राजधानी के 19 मतगणना केंद्रों के लिए तीन स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था की गई, जिसमें प्रत्येक केंद्र पर दो अर्धसैनिक बलों की कंपनियां तैनात की गई। बता दें कि नतीजों से पहले जारी हुए एग्जिट पोल्स में बताया गया था कि अबकी बार भाजपा के लिए दिल्ली दूर नहीं है। यानी एग्जिट पोल्स में भाजपा को बहुमत मिलता बताया गया था।

केजरीवाल की पार्टी को सबसे ज्यादा नुकसान – दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को बड़ा झटका लगा है। अरविंद केजरीवाल ने अपनी हार स्वीकार ली है। वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली में भाजपा की जीत को सुशासन और विकास की जीत करार दिया है। चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, भाजपा ने अपने वोट शेयर को काफी मजबूत किया है। उसे चुनाव में 45.97 फीसदी वोट मिले हैं। यह आंकड़ा पिछले बार से सात फीसदी ज्यादा है। इसके उलट आप को बड़ा नुकसान हुआ है। उसे अब तक 43.66 फीसदी वोट मिले हैं। पार्टी को पिछले बार के मुकाबले 11 फीसदी का नुकसान होते दिखाई दे रहा है। इन चुनावों में कांग्रेस को भी फायदा हुआ है, लेकिन सीटों के मामले में उसका खाता इस बार भी नहीं खुला। कांग्रेस को अब तक 6.40 फीसदी वोट मिले हैं। यह पिछले बार से करीब दो फीसदी ज्यादा है।

बसपा और माकपा को मिले नोटा से भी कम वोट – दिल्ली में विधानसभा चुनाव के नतीजों के आंकड़ों से पता चलता है कि राष्ट्रीय राजधानी के मतदाताओं ने दो राष्ट्रीय पार्टियों बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और माक्र्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) की तुलना में ‘उपरोक्त में से कोई नहीं’ (नोटा) के विकल्प को प्राथमिकता दी।

आप की हार के बाद दिल्ली सचिवालय सील – दिल्ली विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) बड़े बहुमत की ओर है। भाजपा ने आम आदमी पार्टी (आप) को दिल्ली में जीत का चौका लगाने से रोक दिया। अब तक के रुझान बता रहे हैं कि भाजपा यहां 27 साल बाद सत्ता में वापसी करने जा रही है। दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल से लेकर पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया तक चुनाव हार गए हैं। दिल्ली में सत्ता परिवर्तन की लहर को देखते हुए उपराज्यपाल वीके सक्सेना के निर्देश पर दिल्ली सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) ने एक आदेश जारी किया है। इसमें सचिवालय के दस्तावेजों की सुरक्षा संबंधी चिंताओं का जिक्र करते हुए कहा गया है कि विभाग की अनुमति के बिना कोई भी फाइल, दस्तावेज, कंप्यूटर हार्डवेयर आदि दिल्ली सचिवालय परिसर के बाहर नहीं ले जाया जा सकता है। साथ ही सभी विभागों, एजेंसियों और मंत्रिपरिषद के कैंप कार्यालयों को निर्देश दिया गया है कि वे विभाग की अनुमति के बिना कोई भी रिकॉर्ड या फाइल न हटाएं।

भाजपा ने सपा से मिल्कीपुर छीना – अयोध्या हार का बदला भाजपा ने मिल्कीपुर जीत कर ले लिया। 8 साल बाद सपा से मिल्कीपुर विधानसभा छीन लिया। भाजपा ने मिल्कीपुर में अब तक की सबसे बड़ी जीत दर्ज की। भाजपा प्रत्याशी चंदभानु पासवान ने सपा प्रत्याशी अजीत प्रसाद को 61 हजार 540 वोट से हराया। यह इस सीट के इतिहास की सबसे बड़ी जीत है। इससे पहले, 2012 में 39,237 वोट से अवधेश प्रसाद जीते थे। उपचुनाव में चंद्रभानु पासवान को 1,46,141 जबकि अजीत प्रसाद को 84,601 वोट मिले। मिल्कीपुर में भाजपा पहले राउंड से ही बढ़त बनाए हुए थी।

वह आखिर तक जारी रही। एक भी बार सपा आगे नहीं निकल पाई। सपा प्रत्याशी और अयोध्या सांसद के बेटे अजीत प्रसाद अपने ही बूथ से हार गए। लोकसभा चुनाव में मिल्कीपुर विधानसभा में भाजपा को सपा से 7 हजार वोट कम मिले थे। 8 महीने में ही भाजपा ने बाजी पलट दी। अखिलेश यादव ने मिल्कीपुर रिजल्ट पर कहा- ये भाजपा की झूठी जीत है। जिसका जश्न भाजपाई आंखों-में-आंखें डालकर नहीं मना पाएंगे। जिन अफसरों ने घपलेबाजी की, वो सजा पाएंगे। न कुदरत उन्हें बख्शेगी, न कानून। वहीं, अयोध्या सांसद अवधेश प्रसाद और उनके बेटे अजीत प्रसाद घर से नहीं निकले। घर पर ही न्यूज एजेंसी से बातचीत में अवधेश प्रसाद ने कहा- भाजपा ने बेईमानी का रिकॉर्ड तोड़ दिया। उनके गुंडों ने बूथ कैप्चरिंग की।

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