Home Haryana मनोहर की बिना पर्ची खर्ची की नीति और नायब के चमत्कारिक नेतृत्व...

मनोहर की बिना पर्ची खर्ची की नीति और नायब के चमत्कारिक नेतृत्व से हरियाणा में सम्भव हुई संकल्प से सिद्धि

0

निसिंग: तमाम सर्वे बीजेपी की हार का इशारा कर रहे थे । लेकिन नतीजे उलट गये । बीजेपी ने अपने पुराने रिकॉर्ड तोड़ दिये। आखिर क्या हुआ कि बीजेपी की हवा को कोई भांप नहीं पाया। वास्तव में इस विजय की पटकथा लिखने वाली कोई और नहीं बल्कि मनोहर और नायब की नायाब जोड़ी हैं। जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस विजय के विश्वकर्मा है। चुनाव से करीब 6 महीने पहले बीजेपी ने नायब सिंह सैनी को कमान सौंप दी। जातीय समीकरण के हिसाब से बीजेपी के लिए ये फैसला बिल्कुल सटीक बैठा और बीजेपी को हरियाणा में शानदार कामयाबी मिली। हरियाणा में भाजपा के शानदार प्रदर्शन के लिए नायब सैनी और उनके राजनीतिक मार्गदर्शक मनोहरलाल को श्रेय जाता है।

मुख्यमंत्री बनने के बाद नायब सैनी ने छह महीने से भी कम वक्त में भाजपा के खिलाफ चल रही सत्ता विरोधी लहर को बेदम कर दिया और उनके लिए फैसलों से भाजपा को फायदा हुआ। किसान, पहलवान और जवान का मुद्दा चाहे छाया रहा, लेकिन हरियाणा की जनता ने इसे सिरे से नकार दिया। स्थानीय मुद्दों पर भाजपा ने चुनाव लड़ा और खासकर नौकरियों के मुद्दे पर कांग्रेस को घेरती रही और पर्ची और खर्ची का मुद्दा उठाती रही। नायब सैनी ने छह महीने के कार्यकाल में वोटरों के बड़े तबके को साधा। यहां पर 1 लाख 20 हजार कच्चे कर्मचारियों के पक्के करने का ऐलान किया। साथ ही 24 फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य देने की घोषणा की। इसके अलावा, महिलाओं को 500 रुपये सिलेंडर देने की घोषणा तीज पर की। ओबीसी चेहरा होने की वजह से लोगों ने सैनी का भरपूर साथ दिया। सैनी सरकार ने ही हरियाणा में सरपंचों को 21 लाख रुपये तक का काम बिना ई-टेंडरिंग के करवाने की हामी भरी थी।

पहले सिर्फ 5 लाख रुपये तक सीमा थी। 16 अगस्त को नायब सिंह सैनी ने 5 लाख किसानों को 525 करोड़ रुपये जारी किए थे। लोकसभा चुनाव से पहले जब नायब सिंह सैनी हरियाणा के मुख्यमंत्री बनाए गए, तो सभी पॉलिटिकल एक्सपर्ट ने इस प्रयोग को फेल बता दिया। बीजेपी गुजरात कई राज्यों में चुनाव से पहले सीएम बदलकर एंटी इम्कबेंसी के असर को कम करने वाला ट्रिक आजमा चुकी थी। राजनीतिक पंडितों का मानना था कि हरियाणा का मिजाज गुजरात से अलग है, इसलिए यहां नायब सिंह सैनी छह महीने के सीएम के तौर पर रह जाएंगे। हरियाणा विधानसभा चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल की साफ-सुथरी छवि और उनके विकास कार्यों का भाजपा की ऐतिहासिक जीत में अहम योगदान रहा है।

एग्जिट पोल के नतीजों को झुठलाते हुए भाजपा ने जिस तरह से चुनाव में सफलता हासिल की, उसका श्रेय मनोहर लाल के कार्यकाल में किए गए सुधारवादी कार्यक्रमों को दिया जा रहा है। बिना पर्ची-बिना खर्ची की नीति, जिसने युवाओं को सरकारी नौकरियों में पारदर्शिता का भरोसा इस चुनाव में भाजपा का प्रमुख चुनावी मुद्दा बना। मनोहर लाल की स्वच्छ छवि और ईमानदार नेतृत्व ने हरियाणा के शहरी और ग्रामीण मतदाताओं पर गहरा प्रभाव छोड़ा। उनके कार्यकाल में शुरू किए गए हर घर बिजली अभियान, जिसके तहत ग्रामीण क्षेत्रों में 20 घंटे तक और बिल चुकाने वाले उपभोक्ताओं को 24 घंटे तक बिजली दी गई, ने भाजपा को ग्रामीण क्षेत्रों में भारी समर्थन दिलाया। इसी तरह, स्वास्थ्य बीमा योजना, किसानों के लिए बिजली में छूट, और हरियाणा में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एसएसपी) को बढ़ाने जैसे कदमों से मनोहरलाल की लोकप्रियता बढ़ी।

उन्होंने अपने मुख्यमंत्री कार्यकाल में बिना पर्ची-बिना खर्ची वाली नौकरी भर्ती प्रणाली को लागू कर सरकारी नौकरियों में भ्रष्टाचार पर कड़ा प्रहार किया। बीजेपी की इस जीत में वंचित अनुसूचित जातियों की भी बड़ी भूमिका रही है। चाहे कश्मीर हो या हरियाणा अनुसूचित जातियों के लिए मोदी देवपुरुष बनकर आये हैं। उन्होंने वर्षों से शोषित व अन्याय झेल रहे इन वर्गों को नया जीवन दिया। करीब सात दशक से जम्मू-कश्मीर में होने के बावजूद वाल्मीकि समाज को कभी यहां का नहीं माना गया। उनके पूर्वज यहां साफ-सफाई करते भगवान के पास चले गए। पूर्वजों ने जो काम किए, वही काम इनकी पीढ़ी कर रही है, लेकिन अब इनके बच्चे यह काम नहीं करेंगे। वे भी पढ़-लिखकर सरकारी नौकरी करेंगे। अब ये भी अपने बच्चों के लिए यहां घर बना सकेंगे और उनको अच्छी शिक्षा दिलाएंगे।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाकर वाल्मीकि समाज के लोगो के जीवन को बेहतर बनाने का काम किया। यही कारण रहा कि डीएससी समाज के लोगों ने जींद रैली में भाजपा का खुलकर समर्थन करने की घोषणा की। जिसका परिणाम विधानसभा चुनाव में भाजपा की प्रचंड जीत के रूप में देखने को मिला। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उनको बेहतर जिंदगी जीने का मौका दिया। आरक्षण में वर्गीकरण पर दलित नेताओं का मानना है कि यह फैसला पार्टी को दलितों व वंचित वर्गों तक अपनी पहुंच बढ़ाने में मदद कर सकता है। यह फैसला उनका सरकारी योजनाओं और नौकरियों में अन्याय को समाप्त करेगा।

NO COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Exit mobile version