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जो राजनेता काम के आधार पर चुनाव नहीं जीत सकते, वे जाति की बात करते हैं : गडकरी

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पुणे : देश में जाति को लेकर हो रही राजनीति के बीच केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी (Union Minister Nitin Gadkari) ने बड़ा बयान दिया है। गडकरी ने पुणे में एक कार्यक्रम में कहा कि मैं पिछले कई सालों से राजनीति कर रहा हूं और समाज सेवा भी करता हूं। मैं राजनीति में अपने विश्वासों से कभी समझौता नहीं करता। इससे पहले गडकरी ने राजनीति में जाति के इस्तेमाल पर नाराजगी जताई थी और कहा था कि जो राजनेता अपने काम के आधार पर चुनाव नहीं जीत सकते, वे इस बारे में बात करते हैं।

उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव में कई जाति और धर्म के लोग मुझसे मिलने आए थे। मैंने खुले तौर पर कहा कि कोई भी व्यक्ति अपनी जाति या धर्म से महान नहीं होता है। व्यक्ति अपने गुणों से महान होता है। गडकरी ने आगे कहा कि हमारे संतों ने हमें सिखाया है कि समाज से जाति, धर्म, ऊंच-नीच के सभी भेदभाव को खत्म करना होगा और सामाजिक और आर्थिक समानता लानी होगी। इसलिए मैं किसी के दबाव में नहीं आता हूं। उन्होंने साफ कहा कि सभी का कल्याण होना चाहिए लेकिन चुनाव के दौरान जाति की बात तो बिल्कुल नहीं होनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से हर किसी में खुद को पिछड़ा साबित करने की होड़ लगी हुई है। आज हमारी समस्या जाति और समुदाय की नहीं है-गरीबी, भुखमरी और बेरोजगारी है। सुशासन और सही नीतियों के आधार पर हम गरीबों, किसानों, गांवों में रहने वालों, हाशिये पर पड़े लोगों की सेवा कैसे कर सकते हैं, इसी पर हम काम कर रहे हैं। यह पूछे जाने पर कि क्या विपक्ष की जाति जनगणना की मांग में दम है, गडकरी ने इस सवाल का जवाब देने से साफ इनकार कर दिया कहा कि क्या ऐसी कवायद की जानी चाहिए या नहीं। गौरतलब है कि वरिष्ठ बीजेपी नेता नितिन गडकरी ने अपने संबोधन में यह भी दोहराया कि वह जाति-आधारित राजनीति में विश्वास नहीं करते हैं और न ही इसमें शामिल होते हैं। वह हमेशा लोगों के लिए काम करते रहे हैं और करेंगे, भले ही लोगों ने उन्हें वोट दिया हो या नहीं।

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