नई दिल्ली : दिल्ली में शुरू होने वाले 24 सरकारी अस्पतालों में बड़े पैमाने में पदों की भर्ती को लेकर दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच चल रहे विवाद का मामला दिल्ली हाईकोर्ट पहुंच गया है। सरकारी अस्पतालों के बुनियादी ढ़ांचे से जुड़ी जनहित याचिका में अदालत द्वारा न्याय मित्र नियुक्त किए गए अधिवक्ता अशोक अग्रवाल ने दिल्ली हाईकोर्ट से मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की है। मामले पर दो सितंबर को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन की अध्यक्षता वाली पीठ सुनवाई करेगी।
हाईकोर्ट में आवेदन दाखिल कर अधिवक्ता अशोक अग्रवाल ने कहा है कि डॉक्टर, विशेषज्ञ और पैरामेडिकल के 38 हजार पदों के सृजन के लिए प्राधिकार को लेकर दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच विवाद चल रहा है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में शुरू होने वाले 24 सरकारी अस्पतालों का काम पूरा हो चुका है और पदों पर भर्ती को लेकर विवाद जारी है। उन्होंने कहा कि इन अस्पतालों में 14 हजार बेड होंगे, लेकिन पदों की भर्ती को लेकर जारी विवाद से आम नागरिकों के स्वास्थ्य के मौलिक अधिकारी का हनन किया जा रहा है। याचिका में कहा गया कि हाई कोर्ट द्वारा गठित कमेटी ने अपनी अंतरिम रिपोर्ट में अप्रैल माह में कहा था कि सरकारी अस्पतालों में कर्मचारियों की भारी कमी है। आवेदन में न्याय मित्र ने खाली पदों पर भर्ती के संबंध में उचित आदेश देने की मांग की है।