नई दिल्ली : संगरूर से आम आदमी पार्टी के लोकसभा सदस्य गुरमीत सिंह मीत हेयर ने बजट पर बहस में हिस्सा लेते हुए पंजाब के किसानों को पूरी तरह नजरअंदाज करने को लेकर केंद्र सरकार को घेरा। उन्होंने किसानों और फसली विविधता के लिए पंजाब की अनदेखी पर चिंता जताते हुए संगरूर के कृषि आधारित उद्योगों के लिए विशेष पैकेज की मांग की। अपने संबोधन में मीट हेयर ने कहा कि पंजाब ने देश में हरित क्रांति लाई, जिसके लिए राज्य ने अपनी हवा, पानी और मिट्टी तक की कुर्बानी दी। लेकिन अब फसली विविधता के मामले में पंजाब को पूरी तरह नजरअंदाज किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि बीते तीन सालों से न्यूनतम समर्थन मूल्य समेत अपनी जायज मांगों के लिए प्रदर्शन कर रहे पंजाब के किसानों का बजट में जिक्र तक न किया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है।
उन्होंने विशेष रूप से संगरूर क्षेत्र में कृषि संबंधी उद्योगों, जैसे कि हंडियाया की कंबाइन हार्वेस्टर इंडस्ट्री आदि के लिए विशेष पैकेज की मांग की। मीत हेयर ने अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में केंद्र सरकार की विफलता को आंकड़ों के जरिए उजागर करते हुए कहा कि प्रति व्यक्ति आय, जीडीपी और डॉलर के मुकाबले रुपये की गिरती कीमत के मामले में केंद्र सरकार पूरी तरह असफल रही है। उन्होंने कहा कि प्रति व्यक्ति आय के मामले में भारत पिछड़ता जा रहा है और सिर्फ कुछ गिने-चुने लोगों की ही आमदनी बढ़ी है, जबकि आम नागरिकों की आय में कोई खास वृद्धि नहीं हुई। देश में आम लोगों की स्थिति ‘आमदनी अठन्नी और खर्चा रुपैया’ वाली हो गई है।आयकर स्लैब पर तंज कसते हुए मीत हेयर ने कहा कि देश की बड़ी आबादी इस दायरे से पूरी तरह बाहर है।
डॉलर के मुकाबले रुपये की गिरती कीमत पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा कि भाजपा नेता 10 साल पहले कहा करते थे कि “रुपया आईसीयू में पहुंच गया है”, लेकिन अब उनकी ही सरकार में रुपये की स्थिति और भी खराब हो गई है।आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के महत्व पर जोर देते हुए मीत हेयर ने इस क्षेत्र में निवेश बढ़ाने की वकालत की। उन्होंने कहा कि यह दुखद है कि आज की सबसे बड़ी जरूरत पर सरकार ने मात्र 500 करोड़ रुपये का बजट रखा है, जबकि दुनिया भर में इस पर भारी निवेश किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि आज गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, आईबीएम और विश्व बैंक जैसी शीर्ष संस्थाओं का नेतृत्व भारतीय कर रहे हैं और देश में प्रतिभाशाली युवा हैं, लेकिन सरकार इस क्षेत्र को पूरी तरह अनदेखा कर रही है। भारत के पास इस क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्व करने की क्षमता है, लेकिन सरकार की नीति और नीयत के कारण देश पिछड़ रहा है।